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गांधी अम्बेडकर की समाधि

गांधी अम्बेडकर की समाधि है रोती भवर में फंसी है गरीबो की नईया कैसे जलेगी यहां शांति जोती गाँधी अम्बेडकर की समाधि है रोती जंग हो रही है, अश्रु बह रहे हैं बिलख कर के हमसे ये कह रहे हैं सहज ही नहीं है सीपो का मोती गाँधी अम्बेडकर की समाधि है रोती भाव मर गया है प्रेम खो गया है कौन ये रगों में बारूद बो गया है लहू बन गया है गंगा का पानी याद कर लो फिर से गाँधी अम्बेडकर की जुबानी                      ©Rohit Yadav              

ये जो लम्हा है

ये जो लम्हा है लमहो मे यादे हैं तेरी मोहब्बत की ये खुदा से फरियादे हैं हर एक चिट्ठी में वो तेरी खुश्बू है उन खुश्बू में मेरा ठिकाना है जो तेरी आँखे हैं, एक समंदर हैं उस समंदर में ही डूब जाना है ये जो लम्हा है..... जो तेरा चेहरा है चाँद दीवाना है उस चंदा को घर में सजाना है जो तेरे संग हूँ तो लगता फसाना है अब इस फसाने को सच कर दिखाना है ये जो लम्हा है.....