गांधी अम्बेडकर की समाधि
गांधी अम्बेडकर की समाधि है रोती भवर में फंसी है गरीबो की नईया कैसे जलेगी यहां शांति जोती गाँधी अम्बेडकर की समाधि है रोती जंग हो रही है, अश्रु बह रहे हैं बिलख कर के हमसे ये कह रहे हैं सहज ही नहीं है सीपो का मोती गाँधी अम्बेडकर की समाधि है रोती भाव मर गया है प्रेम खो गया है कौन ये रगों में बारूद बो गया है लहू बन गया है गंगा का पानी याद कर लो फिर से गाँधी अम्बेडकर की जुबानी ©Rohit Yadav