प्यार का यह दीप
प्यार का यह दीप है
प्यार का यह दीप है जलता रहेगा
साँझ ने डाला है डेरा
ले रहे पंछी बसेरा
रात की आराधना में
आ गया चन्दा चितेरा
यह युगाें से चल रहा चलता रहेगा प्यार..................................
झिझकते हाे साेंचते हाे
फिर अधर पर राेकते हाे
ढाई आखर बाेलना है
क्याें पसीना पाेंछते हाे
लाज का यह छल उमर छलता रहेगा
प्यार..,..............
यह नदी कुछ कह रही है
रात दिन जो बह रही है
एक सागर के मिलन को
धुप बरखा सह रही है
रूप साँचे में ढला ढलता रहेगा।
प्यार.......................
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