ठहरी ठहरी सी तबीयत मे रवानी आई
❤❤❤❤
ठहरी -ठहरी से तबीयत मे रवानी आई
आज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई..
आज फिर नींद को आँखो से बिछड़ते देखा
आज फिर याद चोट कोई पुरानी आई..
मुद्दतों बाद चला उन पे हमारा जादू
मुद्दतों बाद हमे बात बनानी आई..
मुद्दतों बाद पशेमाँ हुआ दरिया हमसे
मुद्दतों बाद हमे प्यास छुपानी आई..
मुद्दतों बाद खुली उस्वत-ए-सेहरा हमपर
मुद्दतों बाद हमे खाक उड़ानी आई..
मुद्दतों बाद मयस्सर हुआ मा का आचल
मुद्दतों बाद हमे नींद सुहानी आई..
इतनी आसानी मिलती नही फ़न की दौलत
ढल गयी उमर तो गज़लो पे जवानी आई..
ठहरी -ठहरी से तबीयत मे रवानी आई
आज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई..
आज फिर नींद को आँखो से बिछड़ते देखा
आज फिर याद चोट कोई पुरानी आई..
मुद्दतों बाद चला उन पे हमारा जादू
मुद्दतों बाद हमे बात बनानी आई..
मुद्दतों बाद पशेमाँ हुआ दरिया हमसे
मुद्दतों बाद हमे प्यास छुपानी आई..
मुद्दतों बाद खुली उस्वत-ए-सेहरा हमपर
मुद्दतों बाद हमे खाक उड़ानी आई..
मुद्दतों बाद मयस्सर हुआ मा का आचल
मुद्दतों बाद हमे नींद सुहानी आई..
इतनी आसानी मिलती नही फ़न की दौलत
ढल गयी उमर तो गज़लो पे जवानी आई..
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©iqbal_ashar
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